भारतीय राजनीति और मुफ्त की योजनाओं से बदलता भारतीय समाज

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भारतीय राजनीति और मुफ्त की योजनाओं से बदलता भारतीय समाज


     जैसा हम जानते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और यहां की सत्ता की बागडोर लोकतांत्रिक व्यवस्था के अनुसार जनता के हाथों में होती है परंतु आजादी के 78 साल बाद भी जनता को सिर्फ मुफ्त की योजनाओं का लालच देकर मूर्ख बनाया जाता रहा है। सत्ता में आने के लिए सभी राजनीतिक दल अनेक मुफ्त की योजनाएं लेकर आते हैं और जनता को मूर्ख बनाकर उसका शोषण करते हैं। भारत मे राजनीति के स्तर का पूर्णतया पतन हो चुका है क्योंकि यहाँ मंडी में दुकानों की तरह राजनीतिक पार्टियां हैं और उनके राजनेता बस भ्रष्टाचार के लिए और अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए कार्य करते हैं। प्रत्येक राजनीतिक दल में परिवारवाद हमेशा हावी रहता है जिसमे दल की बागडोर बाप के बाद बेटा और बेटे के बाद बेटे का बेटा संभालता है, इस प्रकार यह क्रम चलता ही रहता है। इक्कीसवीं सदी में भी हम भारतवासी विकसित भारत का सपना देख रहे हैं और हमारे राजनीतिक दल मुफ्त का राशन, मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त इलाज, मुफ्त मकान आदि का लालच देकर एक बड़ी जनसंख्या को बेवकूफ बनाने का कार्य कर रहे हैं।

भारतीय राजनीति में मुफ्त की योजनाएँ और उनके दुष्परिणाम-


     भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश मे प्रत्येक राजनीतिक दल बस सत्ता में बना रहना चाहता है जिसके लिए वह चुनाव के वक़्त जनता के लिए मुफ्त की बहुत सारी योजनाओं जैसे मुफ्त राशन, मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त मकान, मुफ्त की पेंसन, बेरोजगारी भत्ता, मुफ्त इलाज आदि का वादा करता है, इन मुफ्त की योजनाओं से भारतीय समाज व अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ता है। मुफ्त की योजनाओं के कुछ दुष्परिणाम इस प्रकार हैं-
1- मुफ्त की योजनाओं से समाज मे बेकारी की समस्या उत्पन्न हो गयी है जिससे प्रत्येक व्यक्ति मुफ्तखोरी के चक्कर मे कोई कार्य नही करना चाहता।
2- मुफ्त की योजनाओं से भारत मे बेरोजगारी की समस्या उत्पन्न हो गयी है क्योंकि प्रत्येक राजनीतिक दल उद्योग को बढ़ावा न देकर एक-दूसरे से अधिक मुफ्त की योजनाएं लेकर आता है और जिससे समाज मे बेरोजगारी बढ़ती जा रही है।
3- मुफ्त की योजनाओं से व्यक्ति बिना मेहनत के खाने का जुगाड़ तो कर लेता है पर उसकी अन्य जरूरतें नही पूरी हो पाती जिससे वह अपराधी बनता है और समाज मे अपराध बढ़ जाता है।
4- मुफ्त की योजनाओं से समाज मे वर्ग संघर्ष का जन्म होता है क्योंकि इसमें गरीब और गरीब होता चला जाता है और अमीर और ज्यादा अमीर हो जाता है।
5- मुफ्तखोरी की योजनाओं से शिक्षा के स्तर में भारी गिरावट आती है क्योंकि व्यक्ति को मुफ्त राशन मिल जाता है तो वह अपने बच्चों को भी शिक्षित नही करना चाहता।
6- मुफ्त की योजनाओं से भारत मे जनसंख्या में लगातार बृद्धि हो रही है क्योंकि जिस परिवार में जितने ज्यादा व्यक्ति होंगे उसको उतना ज्यादा मुफ्त की योजनाओं का लाभ मिलेगा इसलिए कुछ विशेष समुदाय बस अपनी जनसंख्या लगातार बढ़ाते जा रहे हैं।
7- मुफ्त की योजनाओं से हमारे देश मे उपयोगी श्रम का अभाव होता जा रहा है क्योंकि जब व्यक्ति को बिना कार्य के ही मुफ्त का खाना मिल जाता है तो वह कुछ नया करने का सोचता ही नही है।

निष्कर्ष-


     भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश मे समस्त राजनीतिक दलों द्वारा यदि इन मुफ्त की योजनाओं को नही बंद किया गया तो आने वाले कुछ सालों में हमारा भारत और हमारा समाज अत्यंत पिछड़ जाएगा और हमारा विकसित भारत का सपना एक सपना बनकर ही रह जायेगा। भारत की जनता को भी इन मुफ्त की योजनाओं का विरोध करना होगा क्योंकि यदि जनता जागरूक नही होगी तो यह राजनीतिक दल कुछ मुफ्त की योजनाओं के द्वारा उनका हमेशा शोषण करते रहेंगे। भारत सरकार और सर्वोच्च न्यायालय को भी इन मुफ्त की योजनाओं को पूरी तरह बंद करने के लिए कठोर कानून बनाने की आवश्यकता है।
















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