एआइ के दुरुपयोग से 30 वर्ष में हो सकता है मानवता का सफाया!
कहते हैं कि विज्ञान किसी चमत्कार से कम नहीं है अगर इसका सदुपयोग किया जाए तो यह इंसानों की तमाम तकलीफों को दूर कर सकता है, इसका ग़लत कामो के लिए इस्तेमाल करने से यह तबाही का भी कारण बन सकता है।
इस समय जिस तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) का अंधाधुंध उपयोग होने लगा है इससे एआइ के जनक माने जाने वाले और नोबेल विजेता जेफ्री हिंटन ने इसके भयानक दुष्प्रभाव को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस बात की 10 से 20 प्रतिशत आशंका है कि अगले 30 वर्ष में यह एआई तकनीक इंसानियत के सफाए का कारण बन सकती है। हिंटन ने पहले कहा था कि एआइ के कारण मानवता के सफाए की 10 प्रतिशत आशंका है, लेकिन जिस तरीके से एआइ का इस्तेमाल बढ़ रहा है खतरा भी बढ़ गया है।
एआइ को नियंत्रित करने के लिए कानून बनाएं सरकारें
जेफ्री हिंटन ने एआइ को नियंत्रित करने की सलाह दी और कहा, एआइ के विकास की गति मेरी अपेक्षा से कहीं अधिक तेज है। केवल लाभ के उद्देश्य से संचालित बड़ी कंपनियों पर निर्भर रहने से एआइ का सुरक्षित विकास सुनिश्चित नहीं होगा। दुनिया के विभिन्न देशों की सरकारों को कानून बनाकर बड़ी कंपनियों को एआइ के सुरक्षित उपयोग और इसके खतरे से निपटने के लिए शोध करने पर मजबूर करना चाहिए। एआइ पर लगाम लगाने और मानवता के हित में इसका उपयोग करना चाहिए।
जेफ्री हिंटन को अमेरिका के जान हायफील्ड के साथ संयुक्त रूप से इस वर्ष का फिजिक्स का नोबेल पुरस्कार मिला है।
हिंटन ने पिछले साल गूगल का साथ इसीलिए छोड़ दिया था, ताकि वे एआइ के खतरों के बारे में खुलकर दुनियां को बता सकें। 1947 में लंदन में जन्मे हिंटन ने 1978 में एडिनबर्ग विश्वविद्यालय से पीएचडी की। यह कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय में एमेरिटस प्रोफेसर हैं।
बीबीसी के साथ एक साक्षात्कार में पूछा गया कि क्या एआइ के विनाशकारी प्रभाव को लेकर उनके विचार बदल गए हैं तो हिंटन ने कहा, नहीं। एआइ से मानवता के सफाए की आशंका 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है। हिंटन ने पलटकर सवाल किया, क्या आपने सुना है कि ज्यादा बुद्धिमान को कम बुद्धिमान नियंत्रित करे। ऐसे बहुत कम उदाहरण हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि बुरे लोग नुकसान पहुंचाने के लिए एआइ का दुरुपयोग कर सकते हैं। हिंटन ने कहा, विशेषज्ञ आशंका जता रहे हैं कि भविष्य में एआइ तकनीक मनुष्यों से भी अधिक स्मार्ट हो सकती है। इसे सोच कर भी डर लगता है।
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