अति प्राचीन है माता चंद्रिका देवी मंदिर का इतिहास! दर्शन मात्र से पूर्ण होती हैं सारी मनोकामनाएं।

तहक़ीक़ात
By -
0


अति प्राचीन है माता चंद्रिका देवी मंदिर का इतिहास!

माता चंद्रिका देवी मंदिर भारत में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राष्ट्रीय राजमार्ग 24 के किनारे बक्सी का तालाब के कठवारा ग्राम में स्थित है, इस पौराणिक तीर्थ का उल्लेख स्कन्द पुराण में मिलता है, हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार लखनऊ शहर नाम मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी के छोटे भाई लखन (लक्ष्मण) जी के नाम से जाना जाता है।

कहा जाता है चंद्रिका देवी मंदिर का निर्माण लक्ष्मण जी के बड़े पुत्र राजकुमार चंद्रकेतु ने करवाया था, एक बार राजकुमार चंद्र केतु गोमती नदी के किनारे से होकर गुजर रहे थे वहीं उन्हें रात हो गई जिसके कारण उन्हें जंगल में रात बितानी पड़ी, उन्हें जंगल में एक छोटा मंदिर दिखा वहां रुक कर उन्होंने देवी चंद्रिका से सुरक्षा की प्रार्थना की और जब वापस अपनी राजधानी सुरक्षित पहुंचे तो उन्होंने आदेश दिया की इस मंदिर का भव्य निर्माण कराया जाए। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार मां चंद्रिका देवी मंदिर का निर्माण त्रेता युग में हुआ था, 12वीं शताब्दी में मुगल आक्रमणकारियों ने इस मंदिर को नष्ट कर दिया और इसे खंडहर बना दिया, आज से लगभग 300 वर्ष पहले गोमती नदी के किनारे घने जंगल में कुछ किसानों को इस मंदिर का पता चला उसके बाद माँ चंद्रिका देवी मंदिर का गौरवशाली इतिहास दुनिया के सामने आया।

माँ चंद्रिका देववि मंदिर के बारे में एक और पौराणिक कथा का उल्लेख मिलता है..

द्वापर युग में महाभारत काल के समय में महाबली भीम का एक पुत्र था जिसका नाम घटोत्कच था घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक को शक्ति प्राप्त करने के लिए भगवान श्री कृष्ण जी ने इस मंदिर के बारे में बताया और बर्बरीक ने मां चंद्रिका देवी की 3 वर्षों तक कठोर तपस्या की ऐसा शास्त्रों में उल्लेख मिलता है।

आधुनिक समय में मां चंद्रिका देवी मंदिर में नवरात्र के समय भक्तों की अपार भीड़ होती है, माना जाता है की जो भी भक्त सच्चे मन से मां चंद्रिका देवी से जो भी कामना करता है माँ चंद्रिका देवी उसे पूर्ण करती हैं।



मंदिर के बायीं तरफ एक विशाल कुंड है जिसका नाम माही सागर कुंड है, जिसमें भगवान शिव की विशाल प्रतिमा स्थापित है, जो कुंड को और भी मनोरम बनाती है। मंदिर परिसर में चंद्रघंटा नाम से एक विशाल धर्मशाला है जो दूर-दराज से आए यात्रियों के ठहरने के लिए उपयोगी है। मंदिर के पीछे एक वट का विशाल वृक्ष है जिसकी मान्यता है की जो भी व्यक्ति सच्चे मन से माता की चुनरी उस वृक्ष में बांधता है उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

इसी तरह की और अधिक रोचक जानकारी के लिए हमारे ब्लॉग tahkikaat.com को फॉलो करें...

एक टिप्पणी भेजें

0टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें (0)