महाकुंभ में अखाड़ों के अमृत स्नान के लिए संगम तट पर बनाया जा रहा विशेष स्नान घाट, कराया जा रहा बैरिकेडिंग का कार्य लगभग पूर्ण।
प्रयागराज में जीवनदायिनी माँ गंगा, श्यामल यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम को भारतीय धार्मिक स्थलों में सबसे पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। पौराणिक मान्यता है कि पवित्र त्रिवेणी में पुण्य की डुबकी लगाने से आत्मा की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेष तौर पर कुंभ और महाकुंभ में यहां स्नान का अलग ही पुण्य फल की प्राप्ति की धार्मिक मान्यता है।
इस बार 144 वर्षों के बाद दुर्लभ संयोग में आए महाकुंभ के दौरान यह संगम अपने भव्य व विहंगम स्वरूप में पहुंच गया है, जहां लाखों श्रद्धालु एक साथ स्नान कर सकते हैं।
पहले स्नान के साथ महाकुंभ की होगी शुरुवात
संगम की रेती पर महाकुंभ 13 जनवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से शुरू होने जा रहा है। इसके लगभग एक हफ्ते पहले संगम अपने भव्य व विहंगम स्वरूप में पहुंच गया। गंगा की ऐसी कृपा बरसी कि संगम तट का क्षेत्रफल काफी बढ़ गया है। अब लगभग पांच हजार फीट का संगम तट का स्नान घाट हो गया है, जहां हर घंटे सात लाख से ज्यादा साधु संत और श्रद्धालु पुण्य की डुबकी लगा सकते हैं। संगम पर अखाड़ों के अमृत स्नान के लिए अलग स्नान घाट बनाया जा रहा है, जिसके लिए बैरिकेडिंग कराई जा रही है। पूरे संगम तट के स्नान घाट को बालू भरी बोरियों को रखकर सुव्यवस्थित किया जा रहा है। संगम के साथ ही झूसी की तरह एरावत स्नान घाट भी बड़ा है। अरैल के स्नान घाटों का क्षेत्रफल काफी हैं। पूरे मेला क्षेत्र में 12 किमी के दायरे में कुल 30 घाट बनाए जा रहे हैं।
पावन संगम के इस विहंगम स्वरूप से साधु-शंतों व श्रद्धालुओं को स्नान करना आसान होगा। संगम का क्षेत्रफल बढ़ाने के लिए पिछिले डेढ़ माह से ड्रेजिंग का कार्य कराया गया है, जिससे संगम का सरकुलेटिंग एरिया बढ़ सका।
एक टिप्पणी भेजें
0टिप्पणियाँ