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Three Sisters Farming |
आज हम किसानों को कम लागत व कम मेहनत में अधिक लाभ कमाने के लिए तीन बहनें खेती या शून्य बजट खेती के बारे में बताएंगे और इससे खेत की उर्वरा शक्ति पर कोई नकारात्मक प्रभाव भी नही पड़ता है और इस विधि से खेती करने पर उन्नत खेती के लिए आवश्यक 16 प्रकार के पोषक तत्वों में वृद्वि होती है।
तीन बहनें खेती: शून्य बजट खेती के लिए बेहतरीन तरीका।
तीन बहनें खेती एक प्राकृतिक खेती पद्धति है, जिसमें मक्का, सेम और लौकी को एक साथ उगाया जाता है। यह पद्धति पारंपरिक रूप से इन फसलों के बीच के आपसी सहयोग पर आधारित है। इससे एक समय मे तीन फसलें उगाई जा सकती हैं जिससे किसान को लगभग तीन गुना अधिक मुनाफा होता है। जिससे किसान की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। इस खेती को साथी रोपण कृषि भी कहा जाता है।
तीन बहनें खेती को कैसे करें?
तीन बहनें खेती में हम एक साथ मक्का, सेम और लौकी की खेती करने के तरीके के बारे में जानेंगे।
मक्का(Corn)
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मक्का(Corn) |
मक्का घास परिवार से संबंधित है। इसकी जड़ें रेशेदार व उथली होती हैं। इसे अधिक नाइट्रोजन की आवश्यकता होती है। मक्का सेम को चढ़ने के लिए सहारा प्रदान करता है। यह पौधा ऊँचा होने की वजह से एक प्राकृतिक सीढ़ी का काम करता है।
सेम(Beans)
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सेम(Beans) |
सेम की जड़ें गहराई तक जाती हैं जो मिट्टी के जीवाणुवों के साथ सहजीवी संबंध स्थापित करती हैं और मिट्टी में नाइट्रोजन को संचित करती हैं, जिससे मक्का और लौकी को पोषक तत्व मिलते हैं। यह मक्का और लौकी की वृद्धि के लिए एक प्राकृतिक खाद का काम करती है।
लौकी(Squash)
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लौकी(Squash) |
लौकी सेम की छाया में उगती है तथा इसका फैलाव मिट्टी पर होता है, जिससे यह खरपतवार को दबा देती है और मिट्टी की नमी बनाए रखने में मदद करती है। साथ ही, यह मिट्टी को ठंडा रखने और पानी की बचत करने में भी सहायक होती है।
यह तीन पौधों का संयोजन पारिस्थितिकीय रूप से संतुलित और टिकाऊ कृषि का बेहतरीन उदाहरण है। शून्य बजट खेती के दृष्टिकोण से, यह पद्धित लागत को कम करने के साथ-साथ कृषि में जैविक विविधता और सतत विकास को भी बढ़ावा देती है।
ध्यान देने योग्य
•पौधों के बीच उचित फांसला रखें ताकि सभी पौधे बढ़ सकें और एक दूसरे के साथ वृद्धि सकें।
•इस पद्धति में प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए नियमित रूप से जैविक खाद का प्रयोग करें।
•मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए सिंचाई को नियंत्रित रखें।
यह कृषि पद्धति शून्य बजट खेती को बढ़ावा देती है, क्योंकि इसमें बाहरी उर्वरकों और कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती है।इ स तरीके से खेती करने पर पर्यावरण की रक्षा के साथ-साथ पैदावार में भी वृद्धि होती है।
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