जैसलमेर का वह इतिहास जब महारावल लूणकरण हुए धोखे का शिकार। कौन था अमीर अली गद्दार जिसने किया मित्रता में सबसे बड़ा धोखा?
By -तहक़ीक़ात
नवंबर 29, 2024
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अमीर अली कौन था और क्या आप राजा लूणकरण के बारे में जानते हैं? और क्या है जैसलमेर का अर्धसाका?
राजस्थान के इतिहास में अमीर अली वह व्यक्ति था जिसके धोखे के कारण महिलाएं जौहर नहीं कर पाईं और उन्हें तलवारों से काटना पड़ा, तो चलिए आज जैसलमेर के राजा लूणकरण को याद करते हैं जो मित्रता के नाम पर राजस्थान के सबसे बड़े धोखे का शिकार हुए।
अमीर अली कंधार का नवाब था, तथा उसकी उसके भाई के साथ लड़ाई हो गयी और उसके भाई ने उसे हरा दिया, अपने भाई से हारने के बाद आमिर अली जैसलमेर के राजा लूणकरण के पास शरण लेता है, और चूँकि शरणागत की रक्षा करना भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग है, महाराज लूणकरण अमीर अली को शरण दे देते हैं, व दोनों अपनी मित्रता को दर्शाने के लिए पगड़ियाँ बदलते हैं। लूणकरण अमीर अली को जैसलमेर में जागीर देकर उसके रहने का प्रबंध करते हैं।
दिन बीतते हैं, राजा का अमीर अली पर विश्वास बढ़ता जाता है, और राजा अमीर अली पर बहुत ज्यादा विश्वास करने लगते हैं, अमीर अली एक बार राजा से कहता है कि उसकी बेगमें राजमहल की महिलाओं से मिलना चाहती हैं, पर वह नहीं चाहता की कोई और उसकी महिलाओं को देखे, इस पर राजा लूणकरण कहते हैं कि कुछ दिनों में, राजमहल के अधिकांश व्यक्ति एक विवाह समारोह में सम्मिलित होने जाएँगे, तब किले में कोई पुरुष नहीं होगा, उस दिन उनकी बेगमें, उनकी रानियों से मिल सकती हैं। इस पर अमीर अली हामी भर देता है, कुछ दिनों बाद वह दिन आता है जब महल के अधिकांश पुरुष, राजकुमार मालदेव भाटी के साथ विवाह समारोह में भागलेने चले जाते हैं।
राजा, अमीर अली को संदेसा भिजवाते है, की उनकी बेगमें किले में आ सकती हैं, पर अमीर अली के मनसूबे कुछ और ही थे, वह जैसलमेर पर कब्ज़ा करना चाहता था और उसके लिए एक अच्छे मौके का इन्तजार कर रहा था, और उसे वह अवसर मिल गया, वह महिलाओं की पालकियों में अपने सैनिकों को बिठा देता है, और उनमे हथियार रखवा देता है, और प्रत्येक पालकी को उठाने वालों की जगह भी सैनिक लगा देता है। जब अमीर अली की पालकियां किले के प्रथम द्वार को पार कर रही होती हैं तो, वहाँ उपस्थित एक सैनिक को उन पर शक हो जाता है, और वह पालकियों की तलाशी लेने को कहता है, अमीर अली उन्हें समझाता है पर वह सैनिक नहीं मानता जब अमीर अली को लग जाता है कि यदि पालकियों की तलाशी हुई तो वे पकडे जायेंगे और किले के बाकी दरवाजे बंद हो जाएंगे तो वह वहीं से अपने सिपाहियों को हमला कर देने का आदेश देता है, अचानक हुए इस हमले से सिपाही भी कुछ समझ नहीं पाते हैं, व जैसे-तैसे किले के अंदर ख़बर पहुँचती है कि अमीर अली ने विश्वास घात कर दिया है, और किले पर हमला हो चुका है, पर किले में उस वक्त बहुत कम ही पुरुष थे, इसीलिए हमेशा की तरह, जब सिपाही कम और हार निश्चित थी तो साका किया गया, पर एक समस्या राजा के सम्मुख आ खड़ी हुई, साके में सबसे पहले जौहर किया जाता है, जिसमे महिलायें अग्नि स्नान कर लेती हैं, जौहर पूरे विधि विधान द्वारा किया जाता है, पर अब जौहर करने का समय नहीं बचा था, दुश्मन किसी भी वक्त किले में प्रवेश कर सकते थे, तब महिलाएं कहती हैं कि उन्हें तलवारो से काट दिया जाए, इस पर महिलाओं को तलवार से काट दिया जाता है और इस युद्ध में महिलाएं अग्नि स्नान नहीं कर पाती इसलिए इस युद्ध में जौहर नहीं हो पाता, चूँकि महिलायें जौहर नहीं कर पायी थीं और सिर्फ पुरुषों ने केसरिया किया था इसलिए इस साके को जैसलमेर का अर्धसाका कहा जाता है।
अमीर अली किले पर कब्ज़ा कर लेता है, पर जब यह खबर राजकुमार मालदेव भाटी तक पहुँचती है तो मालदेव भाटी अपनी सेना लेकर आते हैं व अमीर अली को मारकर किले पर पुनः कब्ज़ा कर लेते हैं।
यह घटना समस्त भारतवासियों से छुपाने के कृत्य किए गये जिससे मुस्लिम समुदाय को किसी भी कीमत पर धोखेबाज गद्दार कौम का तमगा न लग पाए, यह कौम बदनाम न होने पाए।
ऐसे कुत्सित प्रयास भारत भूमि पर इतिहासकारों द्वारा आज तक जारी हैं।
हमें अपने इतिहास से बहुत कुछ सीखना है और आने वाली पीढ़ी को इन गद्दारों के बारे में बहुत कुछ सिखाना है।
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