भारत की बढ़ती जनसंख्या सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा।

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भारत की बढ़ती जनसंख्या सामाजिक व्यवस्था के लिए खतरा।

     जनसंख्या किसी भी देश का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण अंग है, बिना जनसंख्या के किसी देश की कल्पना नही की जा सकती। परंतु यही जनसंख्या अगर देश मे उपलब्ध संसाधनों के आधार पर कई गुना बढ़ जाये तो देश मे अनेक प्रकार की समस्याएं पैदा हो जाती हैं।

     वर्तमान में भारत की जनसंख्या चीन को पीछे छोड़ती हुई दुनिया की सबसे ज्यादा जनसंख्या हो चुकी है जबकि भारत में संसाधन सीमित हैं, इस प्रकार बढ़ती हुई जनसंख्या उपलब्ध संसाधनों के आधार पर बहुत तेज गति से बढ़ती जा रही है, अब भारत को इस बढ़ती जनसंख्या से डरने की सबसे ज्यादा जरूरत है। वर्तमान में भारत की आबादी 142.86 करोड़ से ज्यादा है जबकि चीन दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है।

अनुमानों के अनुसार 2050 तक भारत की जनसंख्या लगभग 165 करोड़ से अधिक हो सकती है यह अनुमान अनेक संगठनों और संस्थाओं द्वारा लगाए गए हैं जो वर्तमान समय में जनसंख्या वृद्धि दर और अन्य संबंधित कारकों को ध्यान में रखते हुए कार्य कर रहे हैं।

     भारत में जब भी जनसंख्या नियंत्रण की बात होती है तो लोग इसे धर्म से जोड़कर इस पर चर्चा शुरू कर देते हैं और बाकी मुद्दों की तरह यह भी गंभीर मुद्दा धर्म की बहस के बीच धरा रह जाता है जिसका ना कोई समाधान निकलता है और ना ही उसे पर कोई काम होता है।

कुछ प्रमुख संस्थाओं के आंकड़ों के अनुसार भारत की जनसंख्या में क्या बदलाव हो सकते हैं आईए देखते हैं-

     संयुक्त राष्ट्र के विश्व जनसंख्या संभावना रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक भारत की जनसंख्या लगभग 164 करोड़ हो सकती है वहीं विश्व बैंक के अनुमान के अनुसार 2050 तक भारत की जनसंख्या 168 करोड़ तक पहुंच सकती है, इसका मतलब विभिन्न अनुमानों के अनुसार 2050 तक भारत की जनसंख्या 165 करोड़ से 170 करोड़ के बीच हो सकती है।

     लेकिन सवाल यही है कि क्या भारत इतनी जनसंख्या को रखने के लिए तैयार है? जबाब शायद नहीं!

     वर्तमान समय में आप बढ़ती जनसंख्या के आंकड़े ट्रेन, बस, ऑटो, चौराहा, अस्पताल, और बाजारों में लगी भीड़ से पता लगा सकते हैं! इसमें कुछ सोचने वाली बात नहीं है कि जल्द ही अगर भारत में कोई जनसंख्या नियंत्रण का कानून लागू नहीं किया गया तो यह बढ़ती जनसंख्या देश के संसाधन न जाने कितनी जल्दी खत्म कर देगी।

बढ़ती जनसंख्या से देश में उत्पन्न होने वाले आगामी संकट...

     बढ़ती हुई जनसंख्या से भारत में अनेक प्रकार के संकट उत्पन्न होने की संभावना बढ़ गई है। आईए जानते हैं कौन-कौन से संकट हमारे सामने आ रहे हैं?

जल संकट-

     जल संकट के बारे में हम सभी आए दिन अखबारों व न्यूज़ में पढ़ते-सुनते रहते हैं, गर्मी के मौसम में लगभग सभी शहरों में पानी का स्तर अत्यधिक नीचे चला जाता है जिससे नल पानी देना बंद कर देते हैं, कुएं सूख जाते हैं, देश में बहुत से स्थानों पर सुखे की स्थिति उत्पन्न हो जाती है। अधिक जनसंख्या से जल संसाधनों पर सबसे अधिक दबाव बढ़ता है। आने वाले समय में देश में भारी जल संकट उत्पन्न हो सकता है

खाद्यान्न संकट-

     खाद्यान्न की उपलब्धता जनसंख्या के पोषण के लिए अत्यंत आवश्यक है यदि खाद्यान्न ही नहीं होगा तो जनसंख्या जीवित कैसे रहेगी। हम सभी जानते हैं किसी भी देश की जनसंख्या वहां उपलब्ध कृषि योग्य भूमि पर निर्भर करती है। भारत में भी कृषि योग्य भूमि सीमित है। अत्यधिक जनसंख्या के कारण का खाद्यान्न संकट उत्पन्न होना स्वाभाविक है।

ऊर्जा संकट-

     जनसंख्या अधिक होने पर ऊर्जा की मांग अत्यधिक बढ़ जाती है तथा पेट्रोलियम पदार्थ सीमित मात्रा में होते हैं जिससे ऊर्जा संकट उत्पन्न होना स्वाभाविक है।

बेरोजगारी की समस्या-

     बढ़ती जनसंख्या के साथ रोजगार के अवसर तेजी से कम होते चले जाते हैं जिससे बेरोजगारी बढ़ती है, बेरोजगारी के कारण अपराधों में भी वृद्धि होती है।

गरीबी की समस्या-

     अत्यधिक जनसंख्या के कारण गरीबी उत्पन्न होना स्वाभाविक है क्योंकि संसाधन सीमित मात्रा में है और प्रति व्यक्ति आय घटती जाती है जिससे समाज में गरीबी उत्पन्न होती है।

बुनियादी ढांचे की समस्या-

     अत्यधिक जनसंख्या के कारण यातायात, परिवहन, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं पर अत्यंत असर पड़ता है जिससे बुनियादी ढांचे की समस्या बढ़ती जाती है।

अवैध बस्तियों की संख्या का बढ़ना-

     बढ़ती जनसंख्या के कारण आवास की समस्या उत्पन्न हो जाती है जिस कारण लोग झुग्गी झोपड़ियों में रहने के लिए बाध्य होते हैं जिससे झुग्गी-झोपड़ियां की संख्या बढ़ती चली जाती है और अवैध बस्तियां बसने लगती हैं। भारत में रेलवे ट्रैक के किनारे अवैध बस्तियां अत्यधिक मात्रा में पाई जाती हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं की कमी-

     अत्यधिक जनसंख्या से स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ जाती है जिससे उन्हें प्रभावी ढंग से प्रदान करना कठिन हो जाता है इस प्रकार स्वास्थ्य सेवाओं में अत्यधिक कमी होना स्वाभाविक है जिससे अवैध बस्तियों व ज्यादा भीड़ वाले क्षेत्रों में संक्रामक रोग तेजी से फैलते हैं।

शिक्षा व्यवस्था पर प्रभाव-

     अधिक जनसंख्या से शिक्षा संस्थानों पर काफी दबाव बढ़ जाता है जिससे शिक्षा की गुणवत्ता पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अधिक छात्रों के कारण शिक्षण संस्थानों की कमी हो जाती है तथा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा व रोजगार परक शिक्षा के अवसर कम होते चले जाते हैं जिससे बेरोजगारी बढ़ती है।

पर्यावरण को क्षति-

     बढ़ती जनसंख्या के कारण लोगों को अत्यधिक भूमि की आवश्यकता होती है जिससे वनों का काटना शुरू हो जाता है और जंगल खत्म होने लगते हैं जिसका असर पर्यावरण व जैव विविधता पर पड़ता है। अत्यधिक जनसंख्या के कारण वनों को काटने से अनेक प्रकार के प्रदूषण उत्पन्न होते हैं जैसे जल, वायु और भूमि प्रदूषण बढ़ता है जिससे पर्यावरण को नुकसान होता है।

सामाजिक असंतोष व अपराध में वृद्धि-

     अत्यधिक जनसंख्या के कारण संसाधनों की कमी उत्पन्न होती है और उनके असमान वितरण के कारण सामाजिक असमानता उत्त्पन्न होती है जिससे समाज में तनाव काफी बढ़ जाता है और अपराध बढ़ने लगते हैं।


इस प्रकार भारत देश के लिए बढ़ती जनसंख्या अत्यंत घातक है अतः भारत जैसे देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाना अब अत्यंत आवश्यक है। बढ़ती जनसंख्या के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए सरकार और समाज को मिलकर परिवार नियोजन, शिक्षा और संसाधन प्रबंधन की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।

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